गोरखपुर। रेलवे भर्ती बोर्ड कार्यालय गोरखपुर में फर्जीवाड़ा मामले में रेलवे बोर्ड दिल्ली की विजिलेंस टीम ने फिर से जांच प्रारंभ कर दी है। चार सदस्यीय टीम गुरुवार को शाम चार से छह बजे तक फाइलों का निरीक्षण किया। संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ कर आवश्यक जानकारियां जुटाने के बाद कार्यालय से वापस लौट गई।

जानकारों का कहना है कि दोपहर में विजिलेंस टीम वाणिज्य विभाग में भी आरक्षण कोटा से संबंधित मिल रही शिकायतों को खंगाला। आवेदन और आरक्षण कोटा की प्रक्रिया से संबंधित जानकारियां भी ली। टीम शुक्रवार को भी रेलवे बोर्ड बोर्ड की फाइलों का निरीक्षण कर सकती है।

पूर्वोत्तर रेलवे के छह सदस्यों की विजिलेंस टीम ने जनवरी 2025 में ही प्राथमिक रिपोर्ट रेलवे बोर्ड के केंद्रीय सतर्कता आयुक्त को भेज दी थी। लेकिन, भर्ती में फर्जीवाड़ा मामले में अभी कई और अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत की आशंका में दिल्ली की टीम ने पुन: जांच शुरू कर दी है। हालांकि, रेलवे प्रशासन विजिलेंस जांच की पुष्टि नहीं कर रहा।

यहां जान लें कि केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के निर्देश पर रेलवे प्रशासन ने चंद्र शेखर आर्या और राम सजीवन के खिलाफ कैंट थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया है। कैंट थाने में भी जांच चल रही है। रेलवे बोर्ड के निर्देश पर रेलवे प्रशासन ने रेलवे भर्ती बोर्ड गोरखपुर के अध्यक्ष नुरुद्दीन अंसारी और निजी सचिव रहे राम सजीवन को निलंबित कर दिया है। मामले की जांच में अनियमितता पर गोरखपुर के विजिलेंस इंस्पेक्टर भी हटा दिए गए हैं।

यह है प्रकरण
रेलवे भर्ती बोर्ड कार्यालय गोरखपुर में तैनात दो रेलकर्मियों ने 26 अप्रैल, 2024 को जारी पैनल में फर्जी ढंग से अपने बेटों का नाम शामिल कर दिया था। सात अभ्यर्थियों के पैनल में बिना फार्म भरे, परीक्षा दिए, बिना मेडिकल टेस्ट और बिना अभिलेखों की जांच कराए ही अपने बेटों को शामिल कर नौ कर दिया।

रेलवे भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष के हस्ताक्षर से ही पैनल जारी हुआ। कार्यालय अधीक्षक चंद्र शेखर आर्य के बेटे राहुल प्रताप और निजी सचिव (द्वितीय) राम सजीवन के बेटे सौरभ कुमार बिना फार्म भरे, परीक्षा दिए और मेडिकल टेस्ट के ही माडर्न कोच फैक्ट्री रायबरेली में फिटर बन गए थे।