प्रदेश में 16 जून से नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने जा रहा है। सरकारी स्कूलों के 50 लाख विद्यार्थियों को निः शुल्क दी जाने वाली किताबों का प्रकाशन अभी पूरा नहीं हो सका है। इससे स्कूल खुलने पर बच्चों के बस्ते खाली रहने की आशंका गहराती जा रही है। ऐसा, छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम की लापरवाही के चलते हुआ है।

दरअसल, पुस्तकों के प्रकाशन में भ्रष्टाचार रोकने के लिए सरकार ने उन पर क्यूआर कोड लगाने के निर्देश दिए थे। निगम प्रबंधन ने इस आदेश को शुरू में अनदेखा कर दिया। बाद में गलती का अहसास हुआ। इसके चलते किताबों के प्रकाशन में देरी हो रही है।

बता दें कि पहली से 10वीं तक लगभग दो करोड़ से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित करनी है। प्रदेश में पहली से 10वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को सभी किताबें निः शुल्क दी जाती है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के छात्रों को किताबें मुहैया कराती है। इधर, किसी भी हालत स्कूल खुलने के पहले 10 जून को स्कूलों का पहुंचाना होता है, लेकिन अभी जो स्थिति बनी हुई उसको देखते हुए जुलाई तक पहुंचाने की संभावना दिखाई दे रही है।

पुस्तक में क्यूआर कोड का फायदा

इस साल राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीइआरटी) की सभी पुस्तकों में क्यूआर कोड का उपयोग किया जा रहा है। यह क्यूआर कोड आइआइटी भिलाई की सहयोग से तैयार किया गया है। यह सिस्टम पुस्तकों की ट्रैकिंग और वितरण की निगरानी करने के लिए है। प्रत्येक पुस्तक पर छपाई के समय एक विशिष्ट क्यूआर कोड अंकित किया गया है, जो पुस्तक को पहचानता है और उसे ट्रैक करने में मदद करता है। क्योंकि यह उपाय भ्रष्टाचार को रोकने के लिए गया है।

छत्तीसगढ़ बोर्ड की ओर से वितरित की जाने वाली पुस्तकें

‌कक्षा 1 और 2 के लिए- हिंदी, अंग्रेजी और गणित

कक्षा 3री से 5वीं तक के लिए - हिंदी, अंग्रेजी, पर्यावरण- विज्ञान, गणित और योग कला के लिए (बांसुरी)

कक्षा 6वीं से 10वीं तक - हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, (इतिहास, भूगोल, नागरिकशास्त्र) और संस्कृत

स्कूलों तक पहुंचाने के निर्देश

पिछले बार जिस तरह से किताबों की घोटाला सामने आया था उसको देखते हुए डिपो संचालक सीधे स्कूलों तक किताबें पहुंचाने के कार्य में लगे हुए हैं। पहले डिपो संचालक जिला स्तर या संकुल स्तर में ही किताबें पहुंचाने का कार्य करते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है। वहीं, पहले निजी स्कूल के संचालकों के लिए जिला मुख्यालय से किताबें उठाने की व्यवस्था थी। इस बार इसमें भी बदलाव कर दिया है। अब निजी स्कूल संचालकों अपनी किताबें

सीधे डिपो से ही लेना होगा।

छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के वरिष्ठ प्रबंधक जुगनू सिंह ने बताया कि इस साल सभी किताबों में बारकोड लगाए जा रहे हैं। इस कारण प्रकाशन में थोड़ी देरी हुई है। हमारा प्रयास है जितनी जल्दी हो सके, स्कूलों तक किताबें पहुंचाना। अभी सभी जिलों में किताबें पहुंचाई जा रही हैं।