छत्तीसगढ़ के रायपुर जिला महिला एवं बाल विकास विभाग के हटाए गए 9 संविदा कर्मचारियों को बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति वापस रख लिया गया। एक्टिविस्ट आशीष देव सोनी द्वारा सूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगने पर इसका खुलासा हुआ।

सक्षम अधिकारी के आदेश के बिना वेतन

एक्टिविस्ट ने बताया कि अंसतोषजनक काम करने पर तत्कालीन तत्कालीन जिला कार्यक्रम अधिकारी अशोक पांडेय ने गोपनीय प्रतिवेदन (सीआर) लिखा था। इसमें कर्मचारियों का काम असंतोषजनक बताया गया था। इसके आधार पर कर्मचारियों को अक्टूबर 2022 में हटा दिया गया था।

काम से हटाए जाने के बाद सभी इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट गए थे। जहां न्यायमूर्ति अरविंद सिंह चंदेल ने सक्षम अधिकारी ने सेवा समाप्ति के आदेश को निरस्त करते हुए लिखा कि गोपनीय प्रतिवेदन पर पुनर्विचार करते हुए सक्षम अधिकारी द्वारा निर्णय लिए जाने का फैसला सुनाया था।

महिला एवं बाल विकास विभाग का मामला

लेकिन, इस आदेश को ताक पर रखकर महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी निशा मिश्रा ने स्वयं सक्षम अधिकारी बनकर सभी को फरवरी 2024 में काम पर रख लिया। इसके लिए किसी से अनुमति तक नहीं ली गई। काम पर वापस रखने के बाद वेतन के रूप में लाखों रुपए का भुगतान भी किया जा रहा है। जबकि आदेश में वेतन भुगतान के संबंध में कोई आदेश नहीं दिया गया था।

बता दें कि रायपुर कलेक्टर के आदेश पर कमेटी गठित कर कर्मचारियों के संबंध में विचार किया जाना था। अल्केश्वरी सोनी, अश्विन जायसवाल, हेमलाल नायक, ज्योति शर्मा, रजनीश गेंदले, दुष्यंत कुमार निर्मलकर, अखिलेश कुमार डहरे, महेश्वरी दुबे और एक अन्य शामिल है, जिनकी मृत्यु हो चुकी है। बता दें कि उक्त सभी कर्मचारी सेवा से मुक्त किए जाने के बाद हाईकोर्ट चले गए थे। जहां नियमानुसार नियुक्ति करने का आदेश दिया गया था। लेकिन, इसमें कही पर भी यह नहीं लिखा गया था कि सभी को बिना शर्त वापस लिया जाना है।